Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 531
________________ उपसंहार ...465 मुद्रा, सेगन् सेमुइ इन् मुद्रा, शब्द मुद्रा, अग्निचक्र मुद्रा, बकु जौ इन मुद्रा, बोन् जिकि इन् मुद्रा, बु जौ इन् मुद्रा, चौबुत्सु फु इन् मुद्रा, चौ कोंगौ रेंजे इन् मुद्रा, दै कै इन् मुद्रा, धूप मुद्रा, फु कौ इन् मुद्रा, फु कु यौ इन् मुद्रा, फुत्सु कु यौ इन् मुद्रा, गे बकु गोको मुद्रा, गे कै इन् मुद्रा, कयेन शौ इन् मुद्रा, महाज्ञान खड़ग मुद्रा, महाकाल मुद्रा, मु नो शौ शु गौ इन् मुद्रा, न्यारै शिन् इन् मुद्रा, रत्नकलश मुद्रा, सकु इन् मुद्रा, शै को इन् मुद्रा, तथागत दंष्ट्र मुद्रा, तेजस बोधिसत्त्व मुद्रा, जु को इन् मुद्रा। प्रस्तुत सूची से यह प्रमाणित हो जाता है कि मुद्रा साधना यह एक संजीवनी औषधि है। इसका उपयोग करने मात्र से मनुष्य के भीतर रहे हुए दोष एवं विकार समाप्त हो जाते हैं। शारीरिक स्वस्थता एवं सुंदरता के साथ-साथ वैचारिक सकारात्मकता, मानसिक शांतता एवं भावनात्मक सुरूपता प्राप्त करने के लिए भी मुद्रा योग अपूर्व साधना है। उपरोक्त वर्णन के द्वारा व्यक्ति स्वयं अपने नकारात्मक दुर्गुणों को दूर करने का एक लघु प्रयास कर सकता है। इनका नियमित प्रयोग अवश्यमेव लक्ष्य की संसिद्धि में सहायक बनता है तथा शुद्ध, सात्त्विक एवं संतुलित जीवन की प्राप्ति करवाता है।

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