Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 499
________________ गर्भधातु-वज्रधातु मण्डल सम्बन्धी मुद्राओं की विधियाँ सुपरिणाम • आकाश तत्त्व को प्रभावित करते हु वैश्रवण मुद्रा शरीरस्थ विष द्रव्यों को दूर करती है तथा दृष्टि श्रवण एवं स्मरण शक्ति का विकास करती है । • वैश्रवण मुद्रा आज्ञा चक्र को जागृत करते हुए अतिन्द्रिय शक्ति का विकास करती है। • पीयूष ग्रन्थि के स्राव को संतुलित करते हुए यह मुद्रा मानसिक विकास, रक्त के दबाव, प्रजनन अंगों के विकास को प्रभावित करती है। 104. वज्र कश्यप मुद्रा जापानी बौद्ध धर्म में इस मुद्रा के निम्न दो प्रकार प्रचलित हैं ...433 प्रथम प्रकार हथेलियों को एक-दूसरे की विपरीत दिशा में रखते हुए मध्यमा, अनामिका और कनिष्ठिका को लगभग 30° कोण पर फैलाते हुए अन्तर्ग्रथित करें, तर्जनी को फैलाते हुए उनके अग्रभागों को जोड़ें तथा अंगूठों को सीधा रखने पर वज्र कश्यप मुद्रा का प्रथम प्रकार बनता है । 123 वज्र कश्यप मुद्रा - 1

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