Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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434... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन सुपरिणाम
वज्र कश्यप मुद्रा की नियमित साधना से अग्नि एवं वायु संतुलित रहते हैं। यह छाती, फेफड़ें, हृदय, पाचन तंत्र, जठर, तिल्ली, यकृत आदि अंगों को प्रभावित करती है। रोग प्रतिरोधक शक्ति का विकास करती है। एसिडिटी, दृष्टि विकार, एनीमिया, पीलिया, पाचन गड़बड़ी को दूर करती है। • इस मुद्रा के द्वारा मणिपुर एवं अनाहत चक्र प्रभावित होते हैं। • तैजस एवं आनंद केन्द्र को प्रभावित करते हुए यह मुद्रा काम-वासनाओं पर नियंत्रण करती है। • एड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं थायमस ग्रन्थि के स्राव को संतुलित करते हुए यह मुद्रा व्यक्ति को साहसी, निर्भयी, सहनशील, आशावादी, आत्म विश्वासी एवं सक्रिय बनाती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करती है और कामवासनाओं को नियंत्रित रखती है। द्वितीय
दूसरे प्रकार में हथेलियाँ ऊपर की तरफ रहती है शेष पूर्व मुद्रा के समान है।124
वज-कश्यप मुद्रा-2