Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 524
________________ 458... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन मूत्राशय सम्बन्धी विकार (मूत्र त्याग में अवरोध, मूत्र मार्ग में संक्रमण (Infection), मूत्राशय में पथरी या गांठ, मूत्राशय का बाहर आना (Urinary Bladder prolopse)- श्री वत्स्य मुद्रा, काजि को सुइ इन् मुद्रा, कोंगौ रिन् इन् मुद्रा, तथागत कुक्षि मुद्रा। मस्क्युलर डीस्ट्रोफी (स्नायुतंत्र की बढ़ती निष्क्रियता)- कयेन शौ इन् मुद्रा, रत्नकलश मुद्रा, रै इन् मुद्रा, सकु इन् मुद्रा, शै को इन् मुद्रा, तथागत कुक्षि मुद्रा। माइग्रेन- वितर्क मुद्रा, ज्ञानश्री मुद्रा, महाकाल मुद्रा, मु नौ शौ शु गौ इन् मुद्रा, मुशो फुशि इन् मुद्रा, रत्नकलश मुद्रा, सकु इन् मुद्रा, शै को इन् मुद्रा। मस्तिष्क समस्याएँ (मस्तिष्क कैन्सर, सिरदर्द, कोमा, ब्रेन ट्युमर, मस्तिष्क कैन्सर आदि)- अभय मुद्रा, समन्तबुद्धनम् मुद्रा, वितर्क मुद्रा, बाम् मुद्रा, पुष्पे मुद्रा, बोन् जिकि इन् मुद्रा, दै कै इन् मुद्रा, धूप मुद्रा, फु कौ इन् मुद्रा, फु कु यौ इन् मुद्रा। ___ मासिक धर्म सम्बन्धी समस्याएँ (मासिक अनियमितता, दर्द, अधिक नासिक स्राव आदि)- वज्रबंध मुद्रा, वज्रांजली मुद्रा, भूतडामर मुद्रा, अभिद बुत्सु सेप्पो इन् मुद्रा-4, महाकाल मुद्रा। मल-मूत्र सम्बन्धी समस्याएँ- भूमिस्पर्श, फु कौ इन् मुद्रा, महाकाल मुद्रा, रै इन् मुद्रा, भूतडामर मुद्रा। यकृत (Liver) की अस्वस्थता (यकृत में संक्रमण (Hepatitis) यकृत का बढ़ना (Hepatomegaly) यकृत में सूजन, यकृत में पित्त (Bile) उल्टीमिचली, यकृत में गांठ (Liver tumovr) यकृत का काम न करना (Liver failure)- ध्यान मुद्रा, पेंग्-पेर्ट्स लोक मुद्रा, वज्र मुरजे मुद्रा। रक्त विकार (रक्त कैन्सर, रक्त में आवश्यक तत्त्वों की कमी आदि) पेंग्-खब्फवक्कील मुद्रा। रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति का विकास- गेबकु केन इन् मुद्रा, ध्यान मुद्रा।

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