Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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गर्भधातु-वज्रधातु मण्डल सम्बन्धी मुद्राओं की विधियाँ ... 445
व्यक्ति को साहसी, निर्भयी सहनशील एवं आशावादी बनाती है तथा अल्सर, मधुमेह, यकृत, तिल्ली एवं आँतों से सम्बन्धित रोगों का निवारण करती है। 113. जु- कौ - इन् मुद्रा
भारत में यह गन्ध मुद्रा के नाम से प्रसिद्ध है । यह मुद्रा पूजा के दरम्यान देवताओं का विलेपन करने के प्रतीक रूप में की जाती है। शेष वर्णन पूर्ववत । विधि
दायें हाथ को ऊपर उठाते हुए सामने की तरफ सीधा रखें। बायां हाथ दायें हाथ की कलाई के नीचे के भाग को पकड़ता हुआ रहने पर 'जु-कौ - इन्' मुद्रा बनती है। 13
जु-की-इन् मुद्रा
सुपरिणाम
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•जु - कौ-इन् मुद्रा की निरंतर साधना वायु एवं आकाश तत्त्व को संतुलित रखती है। शरीरस्थ विष द्रव्यों का निष्कासन और हृदय की शुद्धि में सहायक बनती है। • अनाहत एवं सहस्रार चक्र को प्रभावित कर कलात्मक उमंगे