Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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भारतीय बौद्ध में प्रचलित मुद्राओं का स्वरूप एवं उनका महत्त्व ...293
सर्व बुद्ध-बोधिसत्त्वानाम् मुद्रा
सुपरिणाम
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सर्वबुद्ध बोधि मुद्रा की साधना से अनाहत एवं सहस्रार चक्र में आए विकार दूर होते हैं।
यह मुद्रा वायु एवं आकाश तत्त्व को संतुलित करते हुए हृदय एवं रूधिर संचरण की क्रिया को नियंत्रित करती है, श्वसन एवं मल-मूत्र की गति में मदद करती है तथा हार्ट अटैक, लकवा आदि से रक्षण करती है।
• आनंद एवं ज्ञान केन्द्र को प्रभावित करते हुए यह मुद्रा आन्तरिक विशिष्ट शक्तियों को जागृत करती है तथा भावधारा को निर्मल एवं परिष्कृत बनाती है।
17.
तोर्म
मुद्रा
यह मुद्रा बौद्ध परम्परा में 'सर्वबुद्ध बोधि सत्त्वम्' मुद्रा के अनन्तर एवं द्वितीय तोरमा अर्पण करने से पूर्व धारण की जाती है। यह मुद्रा दिखाते हुए उड़ते हुए पक्षीवत सामर्थ्यवान बनने की भावना प्रस्तुत की जाती है। तोर्म अर्पण का मन्त्र है- ‘ओम् ए-करोमुखम् सर्व धर्मानम् आदि अनुत्पन्नत्वत् ओम् अह् हुम् फट् स्वाहा।'