Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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अध्याय-10
गर्भधातु-वज्रधातु मण्डल सम्बन्धी मुद्राओं
की विधियाँ एवं तात्कालिक प्रभाव
प्रत्येक धर्म परम्परा में कुछ यान्त्रिक मण्डलाकृतियों का महत्त्व रहा हुआ है। इन्हीं यन्त्रों के समक्ष साधना सिद्धि हेतु पूजा-उपासना, यज्ञ-जाप आदि किए जाते हैं। बौद्ध परम्परा में गर्भधातु मण्डल एवं वज्रधातु मण्डल दो प्रमुख यंत्र है। क्रिया-कांड युक्त अनुष्ठानों में इन यन्त्रों के सामने ही विविध विधान सम्पन्न किए जाते हैं। बौद्ध साहित्य के अनुशीलन से प्राप्त उन मुद्राओं की स्वरूप निम्नोक्त रूप में पाया जाता है1. अचल-अग्नि मुद्रा
यह तान्त्रिक मुद्रा जापानी बौद्ध परम्परा में भक्त एवं पुजारी के द्वारा धारण की जाती है। इस मुद्रा का प्रयोग गर्भधातु मण्डल, वज्रधातु मण्डल, होम आदि कार्यों में होता है। यह संयुक्त मुद्रा अग्नि, ज्वाला या अग्निशिखा की सूचक है।
अचल-अग्नि मुद्रा