Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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गर्भधातु - वज्रधातु मण्डल सम्बन्धी मुद्राओं की विधियाँ ...387
को ऊपर की ओर फैलाकर अग्रभागों का स्पर्श करवायें तथा अनामिका बाहर की ओर मुड़ी हुई रहने पर महा आकाश गर्भ मुद्रा बनती है | 78 सुपरिणाम
• यह मुद्रा अग्नि तत्त्व का संतुलन कर शरीर में उष्णता, आहार पाचन, स्नायु तंत्र की स्थिति स्थापकता एवं चेहरे की सुंदरता में वर्धन करती है। मणिपुर एवं विशुद्धि चक्र को प्रभावित कर यह मुद्रा दीर्घ जीवन प्रदान करती है। • एड्रिनल एवं थायरॉइड ग्रंथियों को प्रभावित कर यह मुद्रा रक्तचाप, पित्त, प्राणवायु,रक्त शर्करा, कैल्शियम एवं फॉस्फोरस आदि का संतुलन करती है। 66. महाज्ञान खड्ग मुद्रा
इस मुद्रा का सामान्य वर्णन पूर्ववत समझें ।
विधि
दोनों हथेलियों को समीप कर अंगूठों को बाह्य किनारियों से मिलाते हुए सीधा रखें, तर्जनी को किंचित झुकाते हुए अग्रभागों का स्पर्श करवायें तथा शेष तीन अंगुलियाँ आपस में अग्रभाग पर अन्तर्ग्रथित रहने पर महाज्ञान खड्ग मुद्रा बनती है। 79
महा ज्ञान खड्ग मुद्रा