Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
View full book text
________________
गर्भधातु-वज्रधातु मण्डल सम्बन्धी मुद्राओं की विधियाँ ...407 के तापमान का नियंत्रण, फेफड़ें और हृदय के कार्यों का नियमन तथा शक्ति उत्पादन में सहायक बनती है। • आनंद एवं विशुद्धि केन्द्र को जागृत कर कामवासनाओं का परिशोधन करती है और चयापचय एवं पाचन क्रिया को सुचारू बनाती है। 83. रेन्-रेंजे-इन् मुद्रा ___यह मुद्रा गर्भधातु मण्डल आदि धार्मिक क्रियाओं से सम्बन्धित है। शेष वर्णन पूर्ववत। विधि ___ दोनों हथेलियों को सामने की तरफ मध्यभाग में रखें, कनिष्ठिका और अंगूठों के अग्रभागों को आपस में जोड़ें तथा तर्जनी, मध्यमा और अनामिका को ऊपर की ओर प्रसरित करे एवं अग्रभागों से परस्पर मिलाने पर 'रेन्-रेंजे-इन्' मुद्रा का निर्माण होता है।99
रेंन्-रेंजे-हन् मुद्रा