Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
View full book text
________________
गर्भधातु-वज्रधातु मण्डल सम्बन्धी मुद्राओं की विधियाँ ... 415
89. शै- कौ - इन् मुद्रा
यह संयुक्त मुद्रा गर्भधातु मण्डल, वज्रधातु मण्डल आदि धार्मिक क्रियाओं के समय धारण की जाती है जो देवताओं को भोग लगाने या अर्पण करने की सूचक है। शेष वर्णन पूर्ववत ।
विधि
इस मुद्रा को बनाने के लिए हथेलियों को ऊर्ध्वाभिमुख, तर्जनी को सीधी, अंगूठे तर्जनी के साथ शिथिल मुद्रा में, मध्यमा, अनामिका और कनिष्ठिका को हथेली की तरफ आधे मोड़े हुए रखें। तत्पश्चात दोनों हाथों को समीप कर आपस में स्पर्शित कर देने पर 'शै- कौ - इन्' मुद्रा बनती है। 107
टी-की-इन् मुद्रा
सुपरिणाम
चक्र- आज्ञा, सहस्रार एवं अनाहत चक्र तत्त्व - आकाश एवं वायु तत्त्व ग्रन्थि - पीयूष, पिनियल एवं थायमस ग्रन्थि केन्द्र - दर्शन, ज्योति एवं आनंद केन्द्र विशेष प्रभावित अंग - मस्तिष्क, स्नायु तंत्र, आँख, हृदय, फेफड़ें, भुजाएँ, रक्त संचार प्रणाली।