Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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406... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
बनाती है। • एक्युप्रेशर विशेषज्ञों के अनुसार यह नाभि चक्र के स्थानांतरित होने पर यथास्थान स्थित करती है, सुकतान, हिचकी, स्नायु ऐंठन तथा जड़ता आदि का निवारण करती है। 82. रेंजे-बु-शु-इन् मुद्रा
यह तान्त्रिक मुद्रा गर्भधातु मण्डल, वज्रधातु मण्डल आदि धार्मिक क्रियाओं से सम्बन्धित है। शेष पूर्ववत। विधि
दोनों हथेलियों को सटाकर तर्जनी, मध्यमा और अनामिका को बाहर की तरफ अन्तर्ग्रथित करें तथा अंगूठा और कनिष्ठिका को सीधा कर एवं उनके अग्रभागों को परस्पर जोड़ने पर रंजे-बु-शु-इन्' मुद्रा बनती है।98
सुपरिणाम
रेंजे-बु-शु-इन् मुद्रा यह मुद्रा वायु तत्त्व को संतुलित करते हुए रुधिरअभिसंचरण, श्वसन, मल-मूत्र गति आदि को सम्यक एवं सक्रिय रखती है। • अनाहत एवं विशुद्धि चक्र को प्रभावित कर यह मुद्रा बालकों के विकास में सहयोगी बनती है। शरीर