Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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गर्भधातु - वज्रधातु मण्डल सम्बन्धी मुद्राओं की विधियाँ ...395
एवं दर्शन केन्द्र को सक्रिय करते हुए यह मुद्रा पूर्वाभास, अन्तर्दृष्टि एवं आन्तरिक दिव्यज्ञान को प्रकट करती है, कामवृत्तियों को अनुशासित करती है तथा चित्त की एकाग्रता बढ़ाती है।
72. न्योरै होस्सौ इन् मुद्रा
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यह संयुक्त मुद्रा आनन्द और शन्ति प्राप्ति की सूचक हैं। शेष वर्णन पूर्ववत ।
विधि
दोनों हथेलियों को समीप कर अंगूठा, तर्जनी, मध्यमा और कनिष्ठिका को अन्दर की ओर अन्तर्ग्रथित करें तथा अनामिका को ऊर्ध्व मुखरित कर आपस में अग्रभागों का स्पर्श करवायें तब 'न्यारै - होस्सौ - इन्' मुद्रा बनती है।
न्योर - होस्सी-इन् मुद्रा
सुपरिणाम
• इस मुद्रा का प्रयोग अग्नि एवं आकाश तत्त्वों का नियमन करते हुए शरीर - नाड़ी शोधन, उदर के अवयवों का शक्ति वर्धन, हृदय को शक्तिशाली एवं कब्ज को दूर करती है । • यह मुद्रा मणिपुर एवं आज्ञा चक्र को जागृत कर