Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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396... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन अग्नि, वायु एवं आकाश तत्त्व का नियमन करती है। • एक्युप्रेशर चिकित्सा पद्धति के अनुसार रक्तचाप, एसिडिटी, रक्त, शर्करा, पित्ताशय, लीवर, प्राणवायु आदि में संतुलन बनाए रखती है। यह निर्णायक शक्ति, स्मरण शक्ति एवं देखने-सुनने की शक्ति में भी वर्धन करती है। 73. न्यारै-सकु-इन् मुद्रा
यह तान्त्रिक मुद्रा अनुकम्पा, करुणा या संवेदन की सूचक है। शेष वर्णन पूर्ववत। विधि
दोनों हथेलियों को समीप कर अंगूठा, मध्यमा, अनामिका और कनिष्ठिका को अन्दर की तरफ अन्तर्ग्रथित करें तथा तर्जनी ऊपर उठी हुई और अग्रभागों का स्पर्श करती हुई रहें इस भाँति 'न्यारै-सकु-इन्' मुद्रा बनती है।88
न्यारी-सकु-इन् मुद्रा सुपरिणाम __• यह मुद्रा करने से वायु तत्त्व संतुलित रहता है। इससे हृदय, फेफड़ें और गुर्दे के कार्यों का नियमन होता है और शरीर का प्रमुख सहकारी एवं संरक्षक बल उत्पन्न होता है। • अनाहत एवं विशुद्धि चक्र का जागरण कर यह मुद्रा