Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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गर्भधातु-वज्रधातु मण्डल सम्बन्धी मुद्राओं की विधियों ...399 76. पाश मुद्रा
मुद्रा विज्ञान में पाश मुद्रा के अनेक रूप हैं उनमें प्रस्तुत मुद्रा जापानी बौद्ध परम्परा में व्यवहृत है तथा इसे गर्भधातु मण्डल, होम आदि धार्मिक क्रियाओं के प्रसंग पर धारण करते हैं। यह संयुक्त मुद्रा दुष्ट शक्तियों को वश में करने एवं उनका दमन करने की सूचक है। विधि ___ हथेलियों को एक-दूसरे के सम्मुख कर अंगूठा, तर्जनी, अनामिका और कनिष्ठिका को हथेली के भीतर की तरफ अन्तर्ग्रथित करें तथा मध्यमा ऊपर उठी हुई और अग्रभागों का स्पर्श करती हुई रहें, इस भाँति पाश मुद्रा बनती है।91
सुपरिणाम
पाश मुद्रा यह मुद्रा मणिपुर एवं मूलाधार चक्र को प्रभावित करती है। इन चक्रों के स्वस्थ रहने से रक्त विकार, हृदय विकार, मानसिक विकार काम विकार, त्वचा विकार आदि का निदान होता है। • इसके सहयोग से पृथ्वी एवं अग्नि तत्त्व संतुलित रहते हैं। जिससे प्रतिरोधक शक्ति का विकास होता है। . तैजस एवं शक्ति केन्द्र को सक्रिय करते हुए यह मुद्रा शक्ति का संचय करती है, वृत्तियों का निरोध करती है और ऊर्जा का ऊर्ध्वारोहण करती है।