Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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गर्भधातु-वज्रधातु मण्डल सम्बन्धी मुद्राओं की विधियाँ ...389 सुपरिणाम
चक्र- आज्ञा, स्वाधिष्ठान एवं सहस्रार चक्र तत्त्व- जल एवं आकाश तत्त्व ग्रन्थि- पीयूष, प्रजनन एवं पिनियल ग्रन्थि केन्द्र- दर्शन, स्वास्थ्य एवं ज्योति केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- मस्तिष्क, आँख, स्नायु तंत्र, मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग आदि। 68. महाकर्म मुद्रा ___ इस मुद्रा का सामान्य वर्णन पूर्ववत। विधि
इस मुद्रा में दोनों हथेलियाँ नीचे की तरफ, अंगूठा और कनिष्ठिका फैली हुई और अपने प्रतिरूप के अग्रभागों का स्पर्श करती हुई तथा शेष अंगुलियाँ बाहर से अन्तर्ग्रथित हुई रहती है।81 .
सुपरिणाम
महाकर्म मुद्रा
___ • यह मुद्रा अग्नि एवं वायु तत्त्व में संतुलन स्थापित करते हुए गैस संबंधी विकृतियों में तत्क्षण राहत देती है। मस्तिष्क स्नायु को शक्तिशाली एवं सिरदर्दअनिद्रा आदि का उपशमन करती है। • मणिपुर एवं अनाहत चक्र को जागृत कर इन्द्रिय निग्रह, कवित्व, वक्तृत्व आदि गुणों का जागरण एवं हृदय रोग का