Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
View full book text
________________
386... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन सुपरिणाम
• यह मुद्रा आकाश एवं वायु तत्त्व का संतुलन करते हुए हृदय, गुर्दे, फेफड़ें आदि को स्वस्थ रखती है तथा विष द्रव्य एवं विजातीय तत्त्वों का शरीर से निकास करती है। • इस मुद्रा के प्रयोग से आज्ञा एवं अनाहत चक्र का जागरण होता है। यह मुख्य रूप से बालकों के विकास में सहयोगी बनती है। वायु एवं आकाश तत्त्व का नियमन कर शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास में सहायक बनती है। • एक्युप्रेशर पद्धति के अनुसार इस मुद्रा के प्रयोग से व्यक्ति बुद्धिशाली, प्रसिद्ध लेखक, कवि, वैज्ञानिक, तत्त्वज्ञानी एवं मानव जाति का प्रेमी बनता है।
65. महा आकाश गर्भ मुद्रा
यह तान्त्रिक मुद्रा गर्भधातु मण्डल आदि के सन्दर्भ में की जाती है। इस मुद्रा का अर्थ गोपनीय है। शेष वर्णन पूर्ववत ।
विधि
युगल हथेलियों को समीप रखें। अंगूठा, तर्जनी, मध्यमा और कनिष्ठिका
महा आकाश गर्भ मुद्रा