Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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गर्भधातु-वज्रधातु मण्डल सम्बन्धी मुद्राओं की विधियों ...333
धारणी अवलोकितेश्वर मुद्रा
सुपरिणाम
अग्नि एवं वायु तत्त्व का नियमन करते हुए यह मुद्रा वायु सम्बन्धी विकारों एवं लकवा आदि रोगों का निवारण,पाचन विकृतियों का शमन, वायुशूल, सन्धिवात आदि की समस्या को दूर करती है।
मणिपुर तथा अनाहत चक्र को जागृत कर मधुमेह, कब्ज, अपच, एसिडिटी आदि का निरोध करती है। __ एड्रिनल, पेन्क्रियाज एवं थायमस ग्रन्थियों को सक्रिय करते हुए यह मुद्रा शरीरस्थ शर्करा, रक्तचाप, प्राणवायु, पित्त आदि का संतुलन, रोग प्रतिरोधक शक्ति का विकास एवं बालकों में सत्प्रवृत्तियों का वर्धन करती है। 29. धर्मचक्र प्रवर्तन मुद्रा ____धर्मचक्र का घूमना धर्मचक्र प्रवर्तन कहलाता है अत: यह मुद्रा धर्मचक्र की गतिशीलता को दर्शाती है। विद्वानों ने इसे नियमों के स्थापना की सूचक माना है।