Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
View full book text
________________
356... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन 44. हाय-को-इन् मुद्रा
प्रस्तुत मुद्रा पूर्व निर्देशों की भाँति गर्भधातु मण्डल एवं अन्य धार्मिक क्रियाओं के निमित्त दिखायी जाती है। यह मुद्रा कवच पहनने की सूचक है। विधि
हथेलियाँ मध्यभाग में परस्पर कुछ दूरी पर हों, दोनों अंगूठे बाह्य किनारियों से सम्पृक्त हों, मध्यमा एक-दूसरे के अग्रभाग से स्पर्श करती हुई हों, अनामिका और कनिष्ठिका हथेली के बीच मुड़ी हुई हों तथा तर्जनी सीधी पर हल्की सी घुमी हुई होने पर हाय-कौ-इन् मुद्रा बनती है।48
सुपरिणाम
हाय-की-इन् मुद्रा • यह मुद्रा जल एवं अग्नि तत्त्व को प्रभावित करती है। इससे रक्त, वीर्य, लसिका, मल-मूत्र, पसीना,पाचन शक्ति आदि संतुलित होते हैं। क्रोध, चिड़चिड़ापन, आलस्य, निद्रा, उग्रता आदि का निवारण होता है और शरीर स्निग्ध, ओजस्वी एवं कान्तियुक्त बनता है।