Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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366... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन तापमान को नियंत्रित तथा अंगों को सक्रिय रखती है। शारीरिक विकास के संरक्षक एवं सहकारी बल को उत्पन्न करती है। तथा मांस, चरबी, अस्थि आदि के निर्माण में सहायता करती है। तैजस एवं आनंद केन्द्र को संतुलित करते हुए यह मुद्रा काम वासना को नियंत्रित करती है और भावधारा को निर्मल एवं परिष्कृत करती है। तृतीय विधि ___इस तीसरे प्रकार में बायां हाथ दायें हाथ के ऊपर रहता है शेष विधि पूर्व मुद्रा के समान है।
जी-इन् मुद्रा-3 सुपरिणाम
• अग्नि एवं जल तत्त्व को संतुलित कर यह मुद्रा शरीर में हो रहे रासायनिक परिवर्तनों को नियंत्रित कर व्यक्तित्व को संतुलित एवं विकसित करती है। शरीर कान्तियुक्त, स्निग्ध एवं ओजस्वी बनता है। • मणिपुर एवं स्वाधिष्ठान चक्र को संतुलित कर यह मुद्रा नाभि चक्र को यथास्थान स्थित कर, सृजन, पालन एवं निधन में समर्थ बनाती है। पाचन तंत्र को मजबूत करती है।