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382... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
मधुमेह, कब्ज, अपच, एसिडिटी आदि का निवारण कर बुद्धि को एकाग्र एवं कुशाग्र बनाती है। अतिन्द्रिय शक्ति का विकास करती है। • तैजस एवं दर्शन केन्द्र को प्रभावित कर यह मुद्रा विषय - कषायों का शमन करती है तथा असद् प्रवृत्तियों का निर्गमन कर सद्भावों का सर्जन करती है।
61. किम्बेइ-इन् मुद्रा
गर्भधातु मण्डल से सम्बन्धित यह मुद्रा करुणा दृष्टि अथवा सहानुभूति की सूचक है।
विधि
दायीं हथेली सामने की तरफ, तर्जनी और कनिष्ठिका हथेली के भीतर मुड़ी हुई, अंगूठा उन दोनों पर मुड़ा हुआ तथा मध्यमा और अनामिका सीधी रहने पर किम्बेइ-इन् मुद्रा बनती है। 74
किम्बेड-इन् मुद्रा
सुपरिणाम
• जल एवं वायु तत्त्व का संतुलन कर यह मुद्रा हृदय, रक्त, मूत्र, लसिका, वीर्य, प्राण वायु सम्बन्धी रोगों का शमन करती है । शरीर को स्निग्ध, निरोगी एवं कान्तिमय बनाती है । • स्वाधिष्ठान एवं विशुद्धि चक्र का नियमन