Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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गर्भधातु- वज्रधातु मण्डल सम्बन्धी मुद्राओं की विधियाँ ... 381
को विकसित करती है। • अनाहत एवं विशुद्धि चक्र का जागरण कर अनेक गुणों एवं कलाओं का विकास करती है । चित्त को शांत, काया को निरोगी एवं दीर्घ जीवन की प्राप्ति करवाती है। यह मुद्रा थायरॉइड एवं थायमस ग्रंथियों के स्राव का संतुलन कर घाव भरने, हड्डियों के विकास, समस्त शरीर के संचालन आदि में सहयोगी बनती है।
तृतीय विधि
खड्ग मुद्रा का तीसरा प्रकार महा वैरोचन का सूचक है। इसमें हथेलियों को मध्य भाग की ओर अभिमुख करें, अंगूठे एक-दूसरे से क्रॉस करते हुए रहें, तर्जनी मध्यमा के पृष्ठभाग को दबाते हुए रहें, मध्यमा प्रथम दो जोड़ों पर झुकती हुई प्रतिपक्षी अग्रभाग का स्पर्श करें तथा अनामिका और कनिष्ठिका अन्तर्ग्रथित होती हुई विरोधी हाथों के पृष्ठ भाग का स्पर्श करें तब खड्ग मुद्रा का तीसरा प्रकार बनता है। 73
खड्ग मुद्रा - 3
सुपरिणाम
• यह मुद्रा अग्नि एवं आकाश तत्त्व का संतुलन करती है। इससे शरीरनाड़ी शोधन, पेट के विभिन्न अवयवों का क्षमता वर्धन होता है। • मणिपुर एवं आज्ञा चक्र को प्रभावित करते हुए यह मुद्रा ऊर्जा का विधेयात्मक विकास,