Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
View full book text
________________
364... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
• स्वाधिष्ठान एवं मूलाधार चक्र को प्रभावित कर यह मुद्रा पेट के पर्दे के नीचे स्थित सभी अवयवों के कार्य का नियमन करती है। जल और फॉस्फोरस को नियंत्रित करते हुए यौन हार्मोन उत्पन्न करती है।
• कामग्रंथियों को सक्रिय करते हुए यह मुद्रा मासिक स्राव का संतुलन तथा मज्जा, कोष, मांस,हड्डियाँ, बोन-मेरो, ज्ञान तंतुओं का नियमन करती है। 51. जौ-इन् मुद्रा
इसे जापान में 'जौ-इन्', चीन में 'तिंग-यिन्' भारत में ध्यान, ध्यानहस्त, समाधि मुद्रा, थायलैण्ड में 'पेंग्-फ्र-नंग्', तिब्बत में 'ब्स्म-ग्तन्-फ्याग्-र्या' कहते हैं। दर्शाये चित्र के आधार पर यह ध्यान मुद्रा के समान है। जापान की बौद्ध परम्परा में प्रस्तुत मुद्रा के आठ प्रकारान्तर प्रचलित हैं। उनका सामान्य वर्णन निम्न हैंप्रथम विधि
दायीं हथेली को बायीं हथेली के ऊपर रखने से जौ-इन् मुद्रा का प्रथम प्रकार बनता है।5
जी-इन् मुद्रा-1