Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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गर्भधातु-वज्रधातु मण्डल सम्बन्धी मुद्राओं की विधियों ...375 दीर्घ जीवन, अतिन्द्रिय शक्तियों का विकास एवं वचन सिद्धि प्राप्त करवाती है। • शक्ति, स्वास्थ्य एवं तैजस केन्द्र को सक्रिय कर यह मुद्रा काम वासनाओं पर नियंत्रण, क्रोध आदि पर नियंत्रण तथा आंतरिक आनंद एवं शांति की अनुभूति करवाती है। 56. कवच मुद्रा-1
भारत में यह मुद्रा कवच और काय कवच दोनों नामों से मानी जाती है। कवच रक्षा का प्रतीक है अत: यह मुद्रा धार्मिक ज्ञान के संरक्षण और उसे स्वीकारने की सूचक है। यह पूर्ववत गर्भधातु मण्डल आदि धार्मिक कृत्यों के प्रसंग पर दर्शायी जाती है। दोनों हाथों में समान मुद्रा बनती है।
विधि
कवच मुद्रा-1 हथेलियों को मध्यभाग में रखें, अंगूठों को बाह्य किनारियों से मिलायें, मध्यमा, अनामिका और कनिष्ठिका को ऊर्ध्व प्रसारित कर उनके अग्रभागों को योजित करें तथा तर्जनी को हल्की सी झुकायी हुई रखने पर कवच मुद्रा बनती है।67