________________
344... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
सुपरिणाम
• जल एवं आकाश तत्त्व का संतुलन कर यह मुद्रा शरीर एवं जीवन प्रवाह को सुरक्षित रखती है। इससे रक्त आपूर्ति से सम्बन्धित समस्याओं एवं हार्ट अटैक, लकवा, मूर्च्छा, मल-मूत्र सम्बन्धी समस्याओं का समाधान होता है।
• स्वाधिष्ठान एवं सहस्रार चक्र को सक्रिय कर यह मुद्रा पेट के पर्दे के नीचे स्थित अवयवों का नियमन तथा मस्तिष्क में मेरुजल का संचालन कर कामेच्छाओं पर नियंत्रण करती है।
• स्वास्थ्य एवं ज्ञान केन्द्र को प्रभावित कर चिन्तन शक्ति का विकास एवं इन्द्रिय संवेदनाओं की अनुभूति करवाती है तथा शरीर, मन और भावनाओं को स्वस्थ बनाती है।
38. गे - बकु - गोकौ (गस्सहौ) मुद्रा
यह मुद्रा जापानी बौद्ध परम्परा में गर्भधातु मण्डल - वज्रधातु मण्डल आदि धार्मिक कृत्यों के उद्देश्य से की जाती है। यह पाँच भुजाओं वाला वज्र अथवा पवित्रीकरण की सूचक मुद्रा है। इस संयुक्त मुद्रा को छाती के स्तर पर करते हैं।
गे- बकु-गोकी मुद्रा