Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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गर्भधातु-वज्रधातु मण्डल सम्बन्धी मुद्राओं की विधियाँ ...301
अग्नि चळ मुद्रा सुपरिणाम
• इस मुद्रा को धारण करने से अग्नि एवं आकाश तत्त्व नियंत्रित होते हैं। अग्नि दीपन आदि से पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है और श्रवण क्रिया तीव्र बनती है।
• यह मुद्रा मणिपुर एवं सहस्रार चक्र को प्रभावित करते हुए संशय, विपर्यय रहित निर्विकल्प अवस्था को प्राप्त करवाती है। कब्ज, अपच, ऍसिडिटी आदि को नियंत्रित करती है।
. • एक्युप्रेशर पद्धति के अनुसार यह पित्ताशय, लीवर, रक्त परिभ्रमण, रक्तचाप आदि का संतुलन, निर्णयात्मक एवं नेतृत्व गुण का विकास तथा कामेच्छाओं पर नियंत्रण करती है। 3. अग्रज मुद्रा
अग्रज अर्थात बड़ा भाई। संभवत: इस मद्रा के द्वारा ज्येष्ठ भाई को अथवा क्रिया काण्डों में नियुक्त बड़े भाई के द्वारा की जाने वाली मुद्रा को सूचित किया जाता है।