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गर्भधातु - वज्रधातु मण्डल सम्बन्धी मुद्राओं की विधियाँ ...303
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एड्रिनल एवं थायरॉइड ग्रंथियों को प्रभावित करते हुए यह मुद्रा शारीरिक प्रणालियों का संचालन, हड्डियों का विकास, प्रतिरोधक क्षमता का वर्धन तथा करुणा आदि गुणों का विकास करती है।
4. अक्क - इन् मुद्रा
यह तान्त्रिक मुद्रा भारत में 'अर्घ मुद्रा' के नाम से प्रचलित है। सामान्य तौर पर जापानी बौद्ध परम्परा के धर्मगुरु एवं भक्त वर्ग इस मुद्रा का प्रयोग करते हैं। यह मुद्रा गर्भधातु मण्डल, वज्रधातु मण्डल, होम आदि अन्य धार्मिक क्रियाओं में की जाती है। यह मुद्रा अपने नाम के अनुसार अशुद्धताओं को धोने की अर्थात पाप नाश की सूचक है।
विधि
दोनों हाथों को स्वयं के अभिमुख करते हुए अंगुलियों की मुट्ठी बनायें, अंगूठों को अंगुलियों के भीतर रखें तथा दोनों मुट्ठियों को समीप लाते हुए कनिष्ठिका की बाह्य किनारियों को मिलायें, तब अक्क - इन् मुद्रा बनती है। 4
अवक-इन् मुद्रा