Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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308... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन सुपरिणाम
• यह मुद्रा आकाश एवं अग्नि तत्त्व को संतुलित करते हुए शरीरस्थ विजातीय द्रव्यों का निकास करती है। अग्नि रस, पाचक रस, लार रस आदि को नियंत्रित करती है और नि:स्वार्थभाव एवं शारीरिक स्वस्थता प्रदान करती है।
• मणिपुर एवं आज्ञा चक्र को जागृत करते हुए यह मुद्रा डायबिटिज, कब्ज, अपच, गैस एवं पाचन विकृतियों में राहत देती है और आन्तरिक ज्ञान को जागृत करती है।
तैजस एवं दर्शन केन्द्र को प्रभावित करते हुए यह मुद्रा अतिन्द्रिय क्षमता एवं अन्तर्दृष्टि का विकास करती है तथा घृणा, भय, ईर्ष्या, संघर्ष, तृष्णा आदि पर नियंत्रण रखती है। 8. बाह्य बंध मुद्रा
यह तान्त्रिक मुद्रा जापान की बौद्ध परम्परा में वहाँ के धर्म गुरुओं और भक्तों के द्वारा वज्रधातु मण्डल से सम्बन्धित धार्मिक कार्यों के समय धारण की जाती है। यह संयुक्त मुद्रा ग्रथितम् मुद्रा के समान है। इस मुद्रा में दोनों हाथ बाह्य रूप से बंधे रहते हैं अत: इसका नाम बाह्य बंध मुद्रा है।
बाह्य मुद्रा