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324... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
चित्त गुह्य मुद्रा सुपरिणाम
• इस मुद्रा का प्रयोग अग्नि एवं वायु तत्त्व को संतुलित करता है। यह गैस की नाना विकृतियों को दूर कर तत्क्षण शांति का अनुभव करवाती है एवं तथा सिरदर्द, अनिद्रा आदि रोगों में लाभ पहुँचाती है।
• मणिपुर एवं अनाहत चक्र को प्रभावित करते हुए यह मुद्रा मधुमेह, कब्ज, अपच, गैस एवं पाचन विकृतियों को दूर करती है और बालकों के विकास में सहयोगी बनती है।
• थायमस एवं एड्रिनल ग्रंथियों को प्रभावित करते हुए यह मुद्रा बालकों की रोगों से रक्षा करती है। उनमें सुस्ती आदि का शमन कर उत्साह एवं स्फूर्ति लाती है। 22. चौ-बुत्सु-फु-इन् मुद्रा ___यह तान्त्रिक मुद्रा भी पूर्ववत जापानी बौद्ध परम्परा में मान्य है तथा गर्भधातु मण्डल आदि धार्मिक क्रियाओं के दौरान की जाती है। इस मुद्रा का अभिप्राय यह है कि बुद्ध और सामान्य लोग आत्मशक्ति की अपेक्षा एक है,