Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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312... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन विधि
दोनों हाथों की तर्जनी अंगुलियों को छोड़कर शेष अंगुलियों को अन्तर्ग्रथित करें तथा तर्जनी को ऊर्ध्व प्रसरित करते हुए उनके अग्रभागों को मिलाने पर बोन्-जिकि-इन् मुद्रा बनती है।11
बोन्-जिकि-इन् मुद्रा
सुपरिणाम
• इस मुद्रा का प्रयोग आकाश तत्त्व को संतुलित करता है। इससे हृदय स्वस्थ रहता है, तत्सम्बन्धी रोगों का निदान होता है और त्याग एवं अध्यात्म भावना में वृद्धि होती है।
• सहस्रार एवं आज्ञा चक्र को प्रभावित करते हुए यह मुद्रा मस्तिष्क में मेरुजल का संचालन कर कामेच्छाओं को नियंत्रित करती है, शक्ति एवं ऊर्जा का वर्धन करती है और असम्प्रज्ञात समाधि की प्राप्ति करवाती है।
• ज्ञान एवं दर्शन केन्द्र को सक्रिय करते हुए पूर्वजन्म का अवबोध करवाती है तथा कामवृत्तियों को अनुशासित कर अपूर्व आनंद को प्रकट करती है।