Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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गर्भधातु-वज्रधातु मण्डल सम्बन्धी मुद्राओं की विधियों ...319 सुपरिणाम
• यह अग्नि एवं जल तत्त्व को संतुलित करते हुए पित्त से उभरने वाली बीमारियों एवं मूत्र दोष का परिहार करती है। गुर्दे को स्वस्थ रखती है। शरीर को स्निग्ध, कान्तियुक्त एवं ओजस्वी बनाती है। ___• मणिपुर एवं स्वाधिष्ठान चक्र को जागृत करते हुए यह मुद्रा रक्त, जल और सोडियम का नियंत्रण कर तनाव विसर्जन एवं शक्ति उत्पादन करती है।
• एक्युप्रेशर सिद्धान्त के अनुसार शराब की आदत छुड़वाने में सहायक बनती है और स्थानांतरित नाभि को स्थान पर लाती है। 17. चिन्तामणि मुद्रा (दूसरी रीति) __ध्यातव्य है कि बौद्ध परम्परा में अनेक तरह की धार्मिक क्रियाएँ होती है उनमें गर्भधातु मण्डल, वज्रधातु मण्डल, होम आदि क्रियाएँ विशिष्ट फलदायी मानी गई हैं। इन क्रिया कलापों को प्रभावशाली बनाने हेतु मुद्राओं का प्रयोग किया जाता है उनमें चिन्तामणि मुद्रा पाँच प्रकार से दिखायी जाती है। उनका सचित्र वर्णन निम्न प्रकार है
चिंतामणि मुद्रा-2