Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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गर्भधातु-वज्रधातु मण्डल सम्बन्धी मुद्राओं की विधियाँ ...307 चक्र को सक्रिय करती है। एसिडिटी, उल्टी, तेज सिरदर्द आदि में राहत देती है और नाभि खिसकने पर लाभ पहुँचाती है। 7. अष्टदल पद्म मुद्रा ___इस मुद्रा में आठ अंगुलियाँ अष्ट दल कमल के समान दिखती हैं अत: यह आठ पत्तियों वाला कमल अष्ट दल कमल कहलाता है। यह तान्त्रिक मुद्रा जापानी बौद्ध परम्परा में प्रचलित है। इसे गर्भधातु मण्डल, वज्रधातु मण्डल, होम आदि धार्मिक क्रियाओं के समय धारण करते हैं। यह संयुक्त मुद्रा है अतः दोनों हाथों से की जाती है। इस मुद्रा का बाह्य स्वरूप परमानन्द और इच्छा तृप्ति को दर्शाता है। इसकी विधि निम्न है
विधि
अष्टदल पद्म मुद्रा ___ हथेलियों को मध्यभाग में रखते हुए अंगुलियों और अंगूठों को हल्का सा तिरछा घुमायें और उन्हें ऊपर की ओर अभिमुख करें। फिर दोनों हाथों के अंगूठों, हाथ की एड़ियों एवं कनिष्ठिका के अग्रभागों को जोड़ते हुए बीच में खाली जगह छोड़ें तब इस भाँति अष्टदल पद्म मुद्रा बनती है।'