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296... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
• यह मुद्रा विशुद्धि, दर्शन एवं ज्योति केन्द्र को सक्रिय करते हुए व्यक्ति को शांत, धैर्ययुक्त एवं स्थिर बनाती है। आवाज को नियंत्रित एवं कोलेस्ट्रोल, कैलशियम, आयोडीन आदि को संतुलित रखती है। इससे विल पावर मजबूत बनता है। 19. विकसित पद्म मुद्रा
यह तान्त्रिक मुद्रा भारत की बौद्ध परम्परा में धारण की जाती है। तिब्बत में इस मुद्रा का नाम ‘उत्-पल-ख-ब्ये-ब-आइ-फ्याग-l' है। उपलब्ध वर्णन के अनुसार यह मुद्रा इक्कीस तारा की पीढ़ियों के बाद धारण की जाती है। यह संयुक्त मुद्रा वज्रायना देवी तारा की पूजा से संबंधित है। इसमें दोनों हाथों में प्रतिबिम्ब की भाँति मुद्रा बनती है। विधि
हथेलियों को मध्यभाग की तरफ रखें, अंगूठा, तर्जनी, मध्यमा और कनिष्ठिका को ऊपर की ओर फैलायें, अनामिका को हथेली में मोड़ें, तदनन्तर दोनों हाथों को इस भाँति रखें कि अनामिका के द्वितीय पोर स्पर्श कर सकें, इस तरह विकसित पद्म मुद्रा बनती है।22
विकसित पन्न मुद्रा
पक