Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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294... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन विधि
स्वयं के मुख के सामने दोनों हथेलियों को स्थिर कर अंगुलियों और अंगूठों को द्वितीय पोर से अन्तर्ग्रथित कर देना तोर्म मुद्रा है।20
तोर्म मुद्रा सुपरिणाम
• तोर्म मुद्रा करने से पृथ्वी एवं आकाश तत्त्व संतुलित होते हैं। यह मुद्रा हड्डियाँ, मांसपेशियाँ, दाँत आदि के रोगों को नियंत्रित कर शारीरिक दुर्बलता एवं मोटापे को कम करती है।
• इस मुद्रा को धारण करने से मूलाधार एवं आज्ञा चक्र जागृत होते हैं जिससे शारीरिक आरोग्य, कर्म कौशलता एवं तेजस्विता में वृद्धि होती है।
• यह मुद्रा गोनाड्स, पिच्युटरी एवं पिनियल ग्रंथि को सक्रिय एवं संतुलित करती है जिससे शरीर की आन्तरिक क्रियाएँ संतुलित एवं मनोवृत्तियाँ शांत रहती है। यह कामेच्छा को दूर कर शरीर को एलर्जी से बचाती है एवं शारीरिक रसायनों का संतुलन बनाए रखती है।