Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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भगवान बुद्ध की मुख्य 5 एवं सामान्य 40 मुद्राओं की......83
बुद्ध अपने शरीर पर धारण की गई चद्दर किस तरह उतारते थे, वह इस मुद्रा से परिज्ञात होता है। यह संयुक्त मुद्रा वीरासन में की जाती है। विधि ___ दायीं हथेली को ऊर्ध्वाभिमुख करते हुए गोद में रखें और बायीं हथेली को स्वयं के सम्मुख करते हुए हृदय के निकट रखें तथा अंगुलियों एवं अंगूठे को बायीं तरफ प्रसरित करने पर पेंग्-खक्रवक्कलि मुद्रा बनती है।37
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पेंग्-खक्रवक्कलि मुद्रा सुपरिणाम
• यह मुद्रा वायु एवं आकाश तत्त्व का संतुलन करती है। इससे छाती, फेफड़ें, हृदय, गुर्दे आदि का संरक्षण होता है। • इस मुद्रा को करने से अनाहत एवं सहस्रार चक्र जागृत होते हैं। परिणामस्वरूप संशय-विपर्यय, शंका-कुशंका आदि का निवारण, सम्यक ज्ञान की उपलब्धि तथा असम्प्रज्ञात समाधि की प्राप्ति होती है। • यह मुद्रा आनंद एवं ज्योति केन्द्र को सक्रिय करती है। इनके जागरण से व्यक्ति आत्मगुणों में स्थिर होता है और उसकी भावधारा निर्मल एवं