Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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248... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
विधि
हथेलियों को बाहर की तरफ अभिमुख करें, मध्यमा और अनामिका को अंगूठों के ऊपर रखें, तर्जनी और कनिष्ठिका को सीधी रखें, दायां हाथ बायें की कलाई पर क्रॉस करता हुआ रहे तथा कनिष्ठिकाएँ परस्पर में ग्रथित होने पर रूप मुद्रा बनती है।
रूप मुद्रा सुपरिणाम
• इस मुद्रा को धारण करने से अग्नि तत्त्व संतुलित, पाचन तंत्र मजबूत एवं सक्रिय बनता है। • यह मुद्रा मणिपुर चक्र को जागृत करती है। इससे अग्नि तत्त्व, पाचन रस, शरीररस्थ रक्त, शर्करा, जल एवं सोडियम तत्त्व नियंत्रित रहते हैं। • तैजस केन्द्र को प्रभावित करते हुए यह मुद्रा शरीर को कान्तिमय एवं तेजयुक्त बनाती है तथा साधक को साहसी, निर्भीक, सहिष्णु एवं आशावादी बनाती है।