Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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भारतीय बौद्ध में प्रचलित मुद्राओं का स्वरूप एवं उनका महत्त्व
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• स्वाधिष्ठान एवं आज्ञा चक्र को जागृत कर यह मुद्रा बुद्धि को कुशाग्र, मस्तिष्क को शान्त, पिनियल एवं पीयूष ग्रंथि स्राव को संतुलित करती है। • स्वास्थ्य एवं ज्योति केन्द्र को सक्रिय करते हुए इससे काम-वासना नियंत्रित होती है। द्वितीय विधि
इस विधि में हथेली, अंगूठा और अंगुलियों को भीतरी तरफ से स्पर्श करते हुए नीचे की ओर फैलाते हैं, तब क्षेपण मुद्रा का दूसरा प्रकार निर्मित होता है। 13
क्षेपण मुद्रा - 2
सुपरिणाम
• क्षेपण मुद्रा की साधना से विशुद्धि, आज्ञा एवं सहस्रार चक्र जागृत होते हैं। इससे अतिन्द्रिय क्षमता के प्रसुप्त बीजांकुर फूट पड़ते हैं तथा अचेतन मन एवं चित्त संस्थान प्रभावित होते हैं।
• वायु एवं आकाश तत्त्व के संतुलन में यह मुद्रा विशेष सहायक है। यह मुख्य रूप से रूधिर अभिसंचरण, हृदय क्रिया आदि को नियंत्रित करती है।