Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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266... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
• स्वास्थ्य एवं विशुद्धि केन्द्र को प्रभावित करते हुए यह मुद्रा पाचन एवं अन्य शारीरिक प्रक्रियाओं में सहायक बनती है।
72. वज्र आकाशगर्भ मुद्रा
यह तान्त्रिक मुद्रा वज्र-आकाशगर्भ नामक देव से सम्बन्धित है। शेष वर्णन पूर्ववत ।
विधि
हथेलियाँ अन्दर की तरफ समीप में रहें, दायां अंगूठा बायें अंगूठे को क्रॉस करता हुआ रहें, तर्जनी फैली हुई एवं हल्की सी झुकी हुई रहें, मध्यमा के अग्रभाग स्पर्श किये हुए तथा अनामिका और कनिष्ठिका बाहर की तरफ अन्तर्ग्रथित रहने पर ‘वज्र आकाशगर्भ' मुद्रा बनती है 182
वज्र आकाशगर्भ मुद्रा
सुपरिणाम
• इस मुद्रा के प्रयोग से वायु तत्त्व संतुलित रहता है। प्राण वायु स्थिर, फेफड़ें, हृदय एवं गुर्दे स्वस्थ बनते हैं। मानसिक शक्ति एवं स्मरण शक्ति का