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भारतीय बौद्ध में प्रचलित मुद्राओं का स्वरूप एवं उनका महत्त्व ...275
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धर्म मुद्रा
सुपरिणाम
• इस मुद्रा को धारण करने से पृथ्वी तत्त्व संतुलित होता है एवं अन्य तत्त्वों पर भी प्रभाव पड़ता है। इससे शरीर संतुलित एवं बलिष्ठ बनता है। • मूलाधार चक्र को जागृत करते हुए यह मुद्रा कार्य दक्षता, आरोग्य, आध्यात्मिक एवं व्यावहारिक ऊर्ध्वता प्रदान करता है। काम-वासनाओं को नियंत्रित करने में यह विशेष उपयोगी है। 3. बाम् मुद्रा
यह मुद्रा भारत की बौद्ध परम्परा में अधिक प्रचलित है। इस मुद्रा को करते समय आह्वान या प्रार्थना हेतु चार अक्षर का मन्त्र बोला जाता है। उसमें यह तीसरा अक्षर है। प्रार्थना आदि क्रियाओं के वक्त ही इस मुद्रा का प्रयोग होता है। यह मुद्रा बांधने की सूचक है तथा वज्रायना देवी तारा की पूजा से सम्बन्धित है। इस संयुक्त मुद्रा का मन्त्र निम्न है- 'जह् हुम् बाम् होड्।'
यह मुद्रा ठुड्डी के नीचे और छाती के आगे धारण की जाती है।