Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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278... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन 5. धूप मुद्रा
धूप मुद्रा के दो प्रकार हैं उनमें प्रथम प्रकार भारत की बौद्ध परम्परा में और दूसरा जापान की बौद्ध परम्परा में स्वीकृत है। वज्रायना देवी तारा या अन्य देवीदेवताओं के समक्ष पाँच प्रकार के द्रव्य अर्पित किये जाते हैं उनमें से यह एक है। धूप अर्पण का मन्त्र यह है- 'ओम् गुरु सर्वतथागत धूप-पूजा-मेघासमुद्रा-स्फरण समये हुम्।' दोनों हाथों में समान मुद्रा होने से एक-दूसरे के प्रतिबिंब भासित होते हैं। विधि __दोनों हथेलियों को मध्य भाग में रखें, तर्जनी को नीचे की ओर प्रसरित करते हुए शेष अंगुलियों को मुट्ठी रूप में बांधे तथा हाथों को समीप लायें, तब धूप मुद्रा बनती है।
धूप मुद्रा सुपरिणाम
• यह मुद्रा अग्नि तत्त्व को संतुलित करते हुए स्वभाव को सौम्य बनाती है तथा उदर में पाचन अग्नि को दिप्त करती है।
• इस मुद्रा के द्वारा मणिपुर चक्र को जागृत कर साधक आध्यात्मिक शक्ति का विकास एवं पाचन संबंधी कार्य को सुचारू रूप से कर सकता है।