Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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भारतीय बौद्ध में प्रचलित मुद्राओं का स्वरूप एवं उनका महत्त्व ..281
तैजस दर्शन एवं ज्योति केन्द्र को जागृत करते हुए यह मुद्रा ईर्ष्या, घृणा, भय, संघर्ष, तृष्णा आदि को नियंत्रित करती है। यह पूर्वाभास, अन्तर्दृष्टि एवं अतिन्द्रिय क्षमताओं को भी विकसित करती है।
• पृथ्वी तत्त्व को संतुलित करते हुए यह मुद्रा बौद्धिक क्षमता एवं स्मृति का विकास करती है।
• काम ग्रंथियों के स्राव को संतुलित करते हुए यह मुद्रा काम वासनाओं पर नियंत्रण करती है।
7. होह मुद्रा
यह मुद्रा भारत की वज्रायन बौद्ध परम्परा में मान्य है। यह वज्रायना देवी तारा की प्रार्थना रस्म से संबंधित एवं प्रार्थना मन्त्र के चार बीजाक्षरों में से एक है। यह दोनों हाथों से ठुड्डी के नीचे धारण की जाती है। इसका मन्त्र है- 'जह् हुम् बम् होह' ।
छोड् मुद्रा
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