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250... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन परिष्कृत करने में, शरीर के समस्त अवयवों का संतुलन करने में तथा नि:स्वार्थ आदि गुणों के विकास में यह मुद्रा सहायक बनती है। 59. संकै-सै-शौ-इन् मुद्रा
जापानी बौद्ध परम्परा में प्रचलित यह मुद्रा ‘बसर-उन्-कोंगो-इन्' मुद्रा का प्रकारान्तर है। यह सम्पूर्ण विश्व पर विजय की सूचक है तथा त्रैलोक्य विजय मुद्रा से संबंधित है। यह संयुक्त मुद्रा दोनों हाथों में प्रतिबिम्ब की भाँति होती है। इस मुद्रा को छाती के स्तर पर धारण करते हैं। विधि ___ हथेलियों को मध्यभाग में रखते हुए अंगुलियों एवं अंगूठों की मुट्ठी बनायें, अंगूठों को भीतर की तरफ रखें तथा दायें हाथ को बायें के सामने कलाई के स्तर पर क्रॉस करता हुआ रखने पर ‘संकै-सै-शौ-इन्' मुद्रा बनती है।67
सुपरिणाम संक-सै-सी-इन मुद्रा ___ • यह मुद्रा पृथ्वी एवं आकाश तत्त्व को संतुलित करती है। इनके संतुलन से विचारों में दया, कोमलता, मैत्री आदि भावों का प्रस्फुटन होता है। •