Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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अष्टमंगल से सम्बन्धित मुद्राओं का स्वरूप एवं मूल्य......129 17. वज्र रास्ये मुद्रा
यह मुद्रा बौद्ध परम्परा की विशिष्ट मुद्राओं में से एक है। इस मुद्रा का प्रयोग अष्टमंगल अर्पित करने एवं सोलह देवियों में प्रमुख वज्रायना देवी तारा की आराधना करने के प्रयोजन से किया जाता है। शेष वर्णन पूर्ववत। पूजा मन्त्र निम्न है- 'ओम् अह् वज्र रास्ये हुम्।'
दोनों हाथों में प्रतिबिम्ब की भाँति मुद्रा बनती है।
विधि
वज रास्ये मुद्रा __. दोनों हथेलियों को स्वयं के सम्मुख रखते हुए अंगुलियों को परस्पर इस तरह अन्तर्ग्रथित करें कि बायें हाथ की अंगुलियाँ दायें पर रहें तथा अंगूठा ऊपर की तरफ सीधा रहने पर वज्र रास्ये मुद्रा बनती है।18 सुपरिणाम
• इस मुद्रा को धारण करने से जल एवं आकाश तत्त्व प्रभावित होते हैं। इनके संतुलन एवं संयोग से हृदय में रक्त आपूर्ति सम्बन्धी विकृतियाँ दूर होती है। • स्वाधिष्ठान एवं आज्ञा चक्र को प्रभावित करते हुए यह मुद्रा पिनियल एवं