Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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240... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन सुपरिणाम ___ • यह मुद्रा करने से शरीरस्थ वायु तत्त्व संतुलित होता है। इससे छाती, फेफड़ें, हृदय एवं वायु संचरण का संतुलन होता है। • इस मुद्रा प्रयोग से विशुद्धि एवं आज्ञा चक्र प्रभावित होते हैं। • यह मुद्रा वायु एवं आकाश तत्त्व का नियमन करती है। इससे शारीरिक तापमान, कैल्शियम, मानसिक विकास आदि का संतुलन एवं शक्ति उत्पादन होता है। • पिच्युटरी, थायरॉइड एवं पैराथायरॉइड ग्रंथियों को सक्रिय करते हुए यह मुद्रा रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति का विकास, बालकों में गलत आदतों का निवारण, चंचलता एवं अभिमान का उपशमन करती है। 51. ओंग्यौ-इन् मुद्रा
इस मुद्रा के दोनों प्रकार जापानी बौद्ध परम्परा में प्रचलित है। उपलब्ध प्रमाणों से ज्ञात होता है कि यह मुद्रा दूसरों से छिपने की अथवा स्वयं को अन्यों से दूर करने की सूचक मुद्रा है। इस संयुक्त मुद्रा को छाती के स्तर पर धारण करते हैं। प्रथम स्थिति
दायी हथेली को नीचे की तरफ अभिमुख करते हुए अंगुलियों को (भूमि से समानान्तर) बायीं तरफ फैलायें। बायीं हथेली को मुट्ठी रूप में बांधकर
ऑग्यो-इन् मुद्रा-1