Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
View full book text
________________
अठारह कर्त्तव्य सम्बन्धी मुद्राओं का सविधि विश्लेषण......145 वृत्ति को उत्पन्न करती है। स्वभाव को शांत, जोशीला, स्फूर्ति युक्त बनाती है तथा प्रमाद निद्रा, क्रोधादि कषाय को दूर करती है। • मणिपुर एवं स्वाधिष्ठान चक्र को जागृत करते हुए यह मुद्रा आध्यात्मिक दशा को विकसित कर यथार्थ ज्ञान में वृद्धि करती है तथा वचन सिद्धि, वाणी प्रभुत्व, मधुमेह एवं पाचन तंत्र सम्बन्धि रोगों में लाभ पहुँचाती है। • तैजस एवं स्वास्थ्य केन्द्र पर पड़ने से प्रभाव रक्तचाप, सिरदर्द, कमजोरी, अपच, तनाव, एलर्जी, श्वसन आदि में विशेष लाभ होता है। 5. कोंगो-मो-इन् मुद्रा
यह मुद्रा पूर्ववत जापान के बौद्ध अनुयायी धारण करते हैं। भारत में इस मुद्रा को 'आकाश जल मुद्रा' एवं 'वज्र जल मुद्रा' कहते हैं। यह अठारह महाकर्त्तव्यों के समय प्रदर्शित की जाती है। इसे पवित्र भूमि के संरक्षण की सूचक मुद्रा माना गया है। इस मुद्रा में दोनों हाथों का उपयोग होता है।
"
कोंगो-मो-इन् मुद्रा