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186... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
शरीर के तापमान आदि को नियंत्रित करती है। • मणिपुर एवं स्वाधिष्ठान चक्र को जागृत करते हुए यह मुद्रा शरीर में रक्त शर्करा, जल तत्त्व और सोडियम को नियंत्रित करती है। पेट के परदे के नीचे स्थित सभी अवयवों के कार्य का नियमन भी करती है। •एड्रिनल, पेन्क्रियाज एवं नाभि चक्र के संचालन में यह विशेष सहयोग प्रदान करती है। पित्ताशय, लीवर, रक्त अभिसंचरण, रक्तचाप, प्राणवायु के संतुलन एवं नाभि चक्र के स्थानांतरण में भी सहयोगी बनती है। 9. अभिद - बुत्सु सेप्पी इन् मुद्रा- 1
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उपर्युक्त मुद्रा जापान में 'अन् आय् - इन्' के नाम से भी प्रसिद्ध है। विद्वानों के उल्लेखानुसार यह मध्यम वर्ग और क्षुद्र जीवन के लिए लागू होती है। यह संयुक्त मुद्रा छाती के सामने धारण की जाती है। दोनों हाथों की मुद्रा समान होती है।
अभिद-बुत्सु सेप्पी छन् मुद्रा- 1
विधि
हथेलियों को बाहर की तरफ करते हुए तर्जनी और अंगूठों के प्रथम पोर को मिलायें, मध्यमा को हथेली की ओर मोड़ें, अनामिका उससे भी कम मुड़ी