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184... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन विधि __बायीं हथेली को हृदय की ओर रखते हुए अंगुलियों को ऊपर और किंचित बायीं तरफ करें। दायीं हथेली बायीं हथेली को नीचे की ओर से पकड़ती हुई
और दायां अंगूठा बायें हाथ की कनिष्ठिका के ऊपर से हथेली की ओर स्पर्श करता हुआ रहे, तब आह्वान मुद्रा बनती है।'
आहान मुद्रा
सुपरिणाम
• यह मुद्रा शरीरगत जल एवं वायु तत्त्व को प्रभावित करते हुए रक्त, वीर्य, लसिका आदि के प्रवाह को संतुलित करती है। पांचन तंत्र को स्वस्थ एवं सक्रिय करती है। • यह मुद्रा स्वाधिष्ठान एवं अनाहत चक्र को प्रभावित करते हुए बच्चों में संस्कारों का जागरण तथा उनके शारीरिक, बौद्धिक एवं मानसिक विकास में सहयोग करती है। • यह मुद्रा आनंद एवं स्वास्थ्य केन्द्र को सक्रिय करते हुए अन्य केन्द्रों के विकास में भी सहायक बनती है।