Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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जापानी बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक स्वरूप ...205 हुए हों, दायां हाथ ऊपर में और बायां हाथ नीचे में रहें अर्थात दोनों हाथों की अंगुलियाँ एक-दूसरे प्रतिरूप का दर्शन कर सकें इस भाँति रखने पर बुप्पत्सुइन् मुद्रा बनती है।26 सुपरिणाम
चक्र- सहस्रार, आज्ञा एवं स्वाधिष्ठान चक्र तत्त्व- आकाश एवं जल तत्त्व प्रन्थि- पिनीयल, पीयूष एवं प्रजनन ग्रन्थि केन्द्र- ज्योति, दर्शन एवं स्वास्थ्य केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- मस्तिष्क, आँख, स्नायु तंत्र, मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग एवं गुर्दे। 25. चक्र मुद्रा
चक्र मुद्रा के अनेक प्रकारों में यह मुद्रा जापानी बौद्ध परम्परा में मान्य है। उसकी विधि निम्न है
चळ मुद्रा विधि
दोनों हाथों की अंगुलियों को ढीले रूप से अन्तर्ग्रथित करते हुए अनामिका को ऊर्ध्व प्रसरित कर उनके अग्रभागों को परस्पर जोड़ देना चक्र मुद्रा है।27