Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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जापानी बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक स्वरूप ...219 अन्तर्ग्रथित हुई, अनामिका प्रतिपक्ष के अग्रभाग का स्पर्श करती हुई तथा कनिष्ठिका हथेली भीतर मुड़ी रहने पर गौ-बकु-इन् मुद्रा बनती है।39
सुपरिणाम
गी-बकु-हन् मुद्रा • यह मुद्रा वायु एवं आकाश तत्त्व को संतुलित करते हुए शरीर में रहे विष द्रव्यों एवं विजातीय तत्त्वों का निष्कासन करती है तथा मन से दुर्भाव एवं वैभाविक अवस्थाओं का शमन करती है। • विशुद्धि चक्र एवं आज्ञा चक्र को जागृत करते हुए यह मुद्रा ज्ञान केन्द्रों को सक्रिय करती है। इससे जीवन में आनंद एवं खुशहाली की अनुभूति होती है। • यह मुद्रा थाइरॉइड, पैराथाइरॉइड एवं पिच्युटरी ग्रंथि को प्रभावित करती है। इसी के साथ ऊर्जा के उत्पादन का चयापचय करते हुए व्यक्ति की सक्रियता एवं तीव्रता को निर्धारित करती है। 36. हयग्रीवा मुद्रा
यह एक तान्त्रिक मुद्रा है। जापानी बौद्ध परम्परा में इसके दो स्वरूप हैं। एक 18 कर्त्तव्यों के समय धारण की जाती है दूसरी सामान्य क्रिया कलापों के प्रसंग पर दर्शाते हैं। इसकी विधि निम्न है