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214... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन सुपरिणाम ___ • यह मुद्रा वायु एवं आकाश तत्त्व को संतुलित करते हुए नि:स्वार्थ भाव का निर्माण करती है। • अनाहत एवं आज्ञा चक्र को जागृत करते हुए यह मुद्रा वक्तृत्व, कवित्व, इन्द्रिय निग्रह आदि गुणों में वर्धन करती है तथा बुद्धि को एकाग्र, कुशाग्र एवं मन को शांत बनाती है। • यह मुद्रा थायरॉइड एवं थायमस ग्रंथियों को प्रभावित करते हुए विशेष रूप से बालकों के विकास एवं उनके सम्यक जीवन निर्माण में सहायक बनती है। हिचकी, दाँतों की तकलीफ, स्नायुओं की मोंच, ऐंठन आदि का निवारण तथा प्रतिरोधात्मक शक्ति का विकास करती है। 33. गंधर्वराज मुद्रा
यह मुद्रा जापानी बौद्ध परम्परा में श्रद्धालुओं द्वारा उभय हाथों से की जाती है। यहाँ गंधर्वराज से दो अर्थ ज्ञात होते हैं- 1. देवताओं का एक प्रकार और 2. गंधर्वो का राजा चित्रगुप्त। अभिप्रायत: यह मुद्रा जाति विशेष देवता से सम्बन्धित होनी चाहिए।
गंधर्वराज मुद्रा