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208... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
चि-केन-इन् मुद्रा-1 वक्तृत्व आदि गुणों का विकास तथा निरोगी जीवन प्राप्त होता है। • आनंद एवं तैजस केन्द्र को प्रभावित करते हुए यह मुद्रा काम ग्रन्थियों, वृषण एवं डिम्बाशय की क्रियाओं का निरोध करती है। काम-वासना को नियंत्रित तथा भावधारा को निर्मल एवं परिष्कृत बनाती है। 28. चि-केन-इन् मुद्रा-2
इस मुद्रा के दो रूप प्रचलित है। एक मुद्रा में दोनों हाथ के अंगूठे बाह्य भाग पर स्थिर रहते हैं जबकि दूसरी मुद्रा में दोनों अंगूठे हथेली के भीतर मुड़े रहते हैं। शेष विधि समान होती है।30 स्पष्टीकरण के लिए दूसरे प्रकार का चित्र निम्न हैसुपरिणाम
• अग्नि एवं जल तत्त्व का संतुलन करने वाली यह मुद्रा आलस्य, प्रमाद, निद्रा आदि का शमन कर स्फूर्ति, उल्लास, सक्रियता आदि में वर्धन करती है। • मणिपुर एवं स्वाधिष्ठान चक्र को संतुलित करते हुए यह मुद्रा तनाव नियंत्रण,